कहे मुताबिक
मैं सब चीजों को बाहर छोड़ आया हूँ
अपनी याद को पत्तों के बीच रख आया हूँ
तुम उनके नीचे से गुज़रोगी छूते हुए
तो ओस की बूँदें तुम्हारी हथेलियों को नम कर देंगी
बस!
अपनी चाहत को सोंप आया हूँ सितारों को
किसी अँधेरी रात में एक बार उठा दोगी अपनी नज़र आसमान की तरफ
तो चमकीली लकीर बनाती एक उल्का बढ़ेगी तुम्हारे पाँवों की ओर
उन्हें चूमने की अधूरी इच्छा लिए
बेचैनी मैं अपनी धरती को सोंप आया
और छोड़ दिया उसे घूमने के लिए चौबीसों घंटे
ताकि वह खयाल रख सके इस बात का
कि दिन के समय दिन हो और रात के समय रात
मैंने सपनों से कह दिया
कि ढूँढ़ लें अब कोई और नींद की नदी
वहीं जाकर तैराएँ अपनी कागज की नाव
इस दरिया में अब पानी कम हुआ जाता है
सबने मेरी बात मान ली
मगर सपने अड़े हैं
कहते हैं - हम यहाँ के आदिवासी
इसी किनारे रहेंगे
चाहे जो हो !
Monday, January 16, 2012
Thursday, January 5, 2012
चीजों को घास सा जिद्दी बनाएँ
नाराज़गी की बर्फ पर
अपनी मासूमियत की 'स्की' पर सवार हो
आओ निकल पड़ें स्कीइंग करने
शायद बर्फ को भी गुदगुदी होती होगी
और गुदगुदी होने पर वह भी तो हँसती होगी
इस भुलावे की दीवार में
स्मृति की खिड़कियाँ बना लें
लाओ अपना दायाँ नहीं तो बायाँ पाँव कुछ बढ़ाएँ
फिर रिश्ते की इस गीली बजरी में धँसाएँ
और थप थप करते ऊष्मा का एक घरोंदा बनाएँ
नाजुक सी चीजों को घास सा जिद्दी बनाएँ
कि घाम कितना भी सुखाए
बस एक हल्की सी नमी से
ये फिर अपने हरेपन में लौट आएँ
अपनी मासूमियत की 'स्की' पर सवार हो
आओ निकल पड़ें स्कीइंग करने
शायद बर्फ को भी गुदगुदी होती होगी
और गुदगुदी होने पर वह भी तो हँसती होगी
इस भुलावे की दीवार में
स्मृति की खिड़कियाँ बना लें
लाओ अपना दायाँ नहीं तो बायाँ पाँव कुछ बढ़ाएँ
फिर रिश्ते की इस गीली बजरी में धँसाएँ
और थप थप करते ऊष्मा का एक घरोंदा बनाएँ
नाजुक सी चीजों को घास सा जिद्दी बनाएँ
कि घाम कितना भी सुखाए
बस एक हल्की सी नमी से
ये फिर अपने हरेपन में लौट आएँ
Tuesday, January 3, 2012
मैं सिर्फ तुम्हें इसलिए प्यार नहीं करता क्योंकि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ
(पाब्लो नेरूदा की कविता- 'आई डू नोट लव यू एक्सेप्टे बिकॉज़ आई लव यू')
मैं सिर्फ तुम्हें इसलिए प्यार नहीं करता क्योंकि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ
मैं बढ़ता हूँ तुम्हें प्यार करने से प्यार ना करने की ओर
तुम्हारा इंतज़ार करने से इंतज़ार ना करने की ओर
मेरा दिल उदासीनता से जोश की तरफ बढ़ता है.
मैं सिर्फ तुम्हें इसलिए प्यार करता हूँ क्योंकि तुम ही एक हो जिसे मैं प्यार करता हूँ
मैं तुमसे बहुत गहरे तक नफ़रत करता हूँ और नफ़रत कर रहा हूँ
मैं तुम्हारी ओर झुकता हूँ, और तुम्हारे लिए मेरे बदलते प्यार का पैमाना ये है कि
मैं तुम्हें देखता नहीं फिर भी अनदेखे ही प्यार करता हूँ.
शायद जनवरी की रोशनी अपनी क्रूर किरण से
मेरी सधी हुई स्थिरता की कुंजी को चुराते हुए
मेरे दिल को बर्बाद कर दे.
कथा के इस भाग में वह मैं ही हूँ
जो मरता है, सिर्फ मैं ही,
और मैं इस प्यार से मर जाऊँगा क्योंकि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ
तुम्हें प्यार करता हूँ, प्यार, जोश और उत्साह में
(अनुवाद : प्रमोद)
मैं सिर्फ तुम्हें इसलिए प्यार नहीं करता क्योंकि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ
मैं बढ़ता हूँ तुम्हें प्यार करने से प्यार ना करने की ओर
तुम्हारा इंतज़ार करने से इंतज़ार ना करने की ओर
मेरा दिल उदासीनता से जोश की तरफ बढ़ता है.
मैं सिर्फ तुम्हें इसलिए प्यार करता हूँ क्योंकि तुम ही एक हो जिसे मैं प्यार करता हूँ
मैं तुमसे बहुत गहरे तक नफ़रत करता हूँ और नफ़रत कर रहा हूँ
मैं तुम्हारी ओर झुकता हूँ, और तुम्हारे लिए मेरे बदलते प्यार का पैमाना ये है कि
मैं तुम्हें देखता नहीं फिर भी अनदेखे ही प्यार करता हूँ.
शायद जनवरी की रोशनी अपनी क्रूर किरण से
मेरी सधी हुई स्थिरता की कुंजी को चुराते हुए
मेरे दिल को बर्बाद कर दे.
कथा के इस भाग में वह मैं ही हूँ
जो मरता है, सिर्फ मैं ही,
और मैं इस प्यार से मर जाऊँगा क्योंकि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ
तुम्हें प्यार करता हूँ, प्यार, जोश और उत्साह में
(अनुवाद : प्रमोद)
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