Thursday, June 20, 2013

पागलपन से भरी यह बातें बस फसानों सी लगती हैं



जब सब खत्म हो रहा हो
और सबसे निरुपाय महसूस करो
मुझे याद करना
मैं तुम्हारी हथेली पर मोती बन आ बैठूँगा
जिसे तुम अपनी आँखों के कोरों पर लगा लेना
फिर कलेजे तक उसकी ठंडक महसूस होने लगेगी

भरी दुपहरी
जब बुक्का फाड़ कर रोने को जी चाहे
और गला रुँधा हो
मुझे याद करना
तुम्हारे कंधे पर एक मानवीय रूई की गर्माहट
महसूस होगी
जिसके कोयों को तुम गर्मी की लू में उड़ा देना
वे शाम तक आसमान में बादलों की शक्ल ले बरसने लगेंगे

जब आस-पास बहुत भीड़ हो
फिर भी इस दुनिया में सबसे अकेला महसूस हो रहा हो
मुझे याद करना
तुम्हें आसमान का सबसे दूर का सितारा भी अपने दिल जितना करीब महसूस होने लगेगा
और उसकी चमक से तुम्हारा मन रोशनी सा दमकने लगेगा

सयानों की इस दुनिया में
पागलपन से भरी यह बातें
बस फसानों सी लगती हैं
मगर कोई यह तो पूछे
कि बिना आजमाए
फसानों में इन्हें कौन उकेर गया होगा

Monday, June 25, 2012

तुम यहाँ रहो साम्राग्यी

आओ
इस रात को एक सफर की तरह तय करके आओ
और सीधी मेरे सपनों के पानी में उतर जाओ
एक मछली
आँखों में झिलमिलाती अपनी कोमलता से भरी

यह कैसा कमाल है तुम्हारे होने का
कि भाषा खुद तुम्हारी गंध बनकर चली आती है मुझ तक
मैं इसका कातिल नहीं हो सकता

या अल्लाह मुझे माफ करना

सपनों के बाहर मृत्यु निश्चित है
तुम यहाँ रहो यहाँ साम्राग्यी
यह मेरी नींद का महासागर है

Monday, April 9, 2012

एक स्त्री के समंदर में बदलने की कथा

कभी सुबह ने शाम से कहा था
हमारे बीच पूरा का पूरा दिन है
हमारा साथ सम्भव नहीं
वैसे ही उसने उससे कहा
हमारे बीच पूरी की पूरी दुनिया है

यह सुनते ही
वह भागा उससे दूर
दूर बहुत दूर
भागता रहा भागता रहा
और भागते भागते नदी में बदल गया
उसका भागना पानी के बहने में बदल गया

बहुत दिनों बाद किसी ने
एक स्त्री के समंदर में बदलने की कथा सुनाई
वह स्त्री एक पुरुष का नदी में बदलना सुनकर
समंदर में बदलने चली गई
और तब से नदियाँ समंदर की ओर बहने लगीं

Wednesday, February 15, 2012

मुझे अगर पानी बना ढाल दिया जाता परातों में

दिन भर की मजूरी की थकान
उनकी पोर-पोर में भरी है
सामने परात में भरा पानी
एक गर्वीली मुस्कान के साथ उसे छू रहा है
और वे अपने पाँव धोते हुए उसे उपकृत कर रही हैं

वे अपने पाँव की उँगलियों में पहनी चिटकी को
बड़े जतन से साफ कर रही हैं
मानो कोई सिद्धहस्त मिस्त्री साफ-सफाई करके
किसी बैरिंग में बस ऑइल और ग्रीस डालने वाला है
जिसके बल ये पाँव अभी गति करने लगेंगे

एक दूसरे से बतियाती व अपने पंजे साफ करती
वे टखनों की तरफ बढ़ती हैं
उसके बाद पिंडलियों पर आए
सीमेंट-गारे के छींटों से निपटने के लिए अपना लँहगा कुछ उठाती हैं
और अभी-अभी उड़ान भरने के लिए उठे बगुले के पंखों के नीचे बने उजाले सा रोशन कर देती हैं
कस्बे की उस पूरी की पूरी गली को
जहाँ यह दृश्य घट रहा है

मुझे अगर पानी बना ढाल दिया जाता परातों में
तो मैं भी कोशिश करता
उन पिंडलियों में भरी थकान को धो डालने की

Monday, January 16, 2012

मगर सपने अड़े हैं

कहे मुताबिक
मैं सब चीजों को बाहर छोड़ आया हूँ

अपनी याद को पत्तों के बीच रख आया हूँ
तुम उनके नीचे से गुज़रोगी छूते हुए
तो ओस की बूँदें तुम्हारी हथेलियों को नम कर देंगी
बस!

अपनी चाहत को सोंप आया हूँ सितारों को
किसी अँधेरी रात में एक बार उठा दोगी अपनी नज़र आसमान की तरफ
तो चमकीली लकीर बनाती एक उल्का बढ़ेगी तुम्हारे पाँवों की ओर
उन्हें चूमने की अधूरी इच्छा लिए

बेचैनी मैं अपनी धरती को सोंप आया
और छोड़ दिया उसे घूमने के लिए चौबीसों घंटे
ताकि वह खयाल रख सके इस बात का
कि दिन के समय दिन हो और रात के समय रात

मैंने सपनों से कह दिया
कि ढूँढ़ लें अब कोई और नींद की नदी
वहीं जाकर तैराएँ अपनी कागज की नाव
इस दरिया में अब पानी कम हुआ जाता है

सबने मेरी बात मान ली
मगर सपने अड़े हैं
कहते हैं - हम यहाँ के आदिवासी
इसी किनारे रहेंगे
चाहे जो हो !

Thursday, January 5, 2012

चीजों को घास सा जिद्दी बनाएँ

नाराज़गी की बर्फ पर
अपनी मासूमियत की 'स्की' पर सवार हो
आओ निकल पड़ें स्कीइंग करने
शायद बर्फ को भी गुदगुदी होती होगी
और गुदगुदी होने पर वह भी तो हँसती होगी

इस भुलावे की दीवार में
स्मृति की खिड़कियाँ बना लें

लाओ अपना दायाँ नहीं तो बायाँ पाँव कुछ बढ़ाएँ
फिर रिश्ते की इस गीली बजरी में धँसाएँ
और थप थप करते ऊष्मा का एक घरोंदा बनाएँ

नाजुक सी चीजों को घास सा जिद्दी बनाएँ
कि घाम कितना भी सुखाए
बस एक हल्की सी नमी से
ये फिर अपने हरेपन में लौट आएँ

Tuesday, January 3, 2012

मैं सिर्फ तुम्हें इसलिए प्यार नहीं करता क्योंकि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ

(पाब्लो नेरूदा की कविता- 'आई डू नोट लव यू एक्सेप्टे बिकॉज़ आई लव यू')

मैं सिर्फ तुम्हें इसलिए प्यार नहीं करता क्योंकि मैं तुम्हें प्या‍र करता हूँ
मैं बढ़ता हूँ तुम्हें प्यार करने से प्यार ना करने की ओर
तुम्हारा इंतज़ार करने से इंतज़ार ना करने की ओर
मेरा दिल उदासीनता से जोश की तरफ बढ़ता है.

मैं सिर्फ तुम्हें इसलिए प्यार करता हूँ क्योंकि तुम ही एक हो जिसे मैं प्यार करता हूँ
मैं तुमसे बहुत गहरे तक नफ़रत करता हूँ और नफ़रत कर रहा हूँ
मैं तुम्हारी ओर झुकता हूँ, और तुम्हारे लिए मेरे बदलते प्यार का पैमाना ये है कि
मैं तुम्हें देखता नहीं फिर भी अनदेखे ही प्यार करता हूँ.

शायद जनवरी की रोशनी अपनी क्रूर किरण से
मेरी सधी हुई स्थिरता की कुंजी को चुराते हुए
मेरे दिल को बर्बाद कर दे.

कथा के इस भाग में वह मैं ही हूँ
जो मरता है, सिर्फ मैं ही,
और मैं इस प्यार से मर जाऊँगा क्योंकि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ
तुम्हें प्या‍र करता हूँ, प्यार, जोश और उत्साह में

(अनुवाद : प्रमोद)