Wednesday, August 4, 2010

ज़ि‍न्दगी खूबसूरत है

(लैंग्संटन ह्यूजे़ज की कविता-'लाइफ इज़ फाइन')

मैं नदी पर गया
किनारे बैठा
और सोचना चाहा पर नहीं सोच पाया
तब कूदा और डूबने लगा

मैं एक बार ऊपर आया और चिल्लाया
दो बार ऊपर आया और चीखा
जो अगर वह पानी इतना ठंडा ना होता
तो मैं डूबकर मर गया होता

मगर यह ठंडा था बहुत ठंडा था

मैंने लिफ्ट ली
और सोलवें माले पहुँचा
अपने बच्चे के बारे में सोचा
और सोचा नीचे कूदने के बारे में

मैं वहाँ खड़ा होकर चिल्लाया
मैं वहाँ खड़ा होकर चीखा
जो अगर यह इतना ऊँचा ना होता
तो मैं कूदकर मर गया होता

मगर यह ऊँचा था बहुत ऊँचा था

तो मैं अब भी जीवित हूँ
मेरा अन्दाजा है मैं जीवित रहूँगा
मैं प्यार के लिए मर गया होता
मगर मैं जन्मा था जीवन के लिए

हालाँकि तुमने मुझे चिल्लाते सुना होगा
और देखा होगा चीखते हुए
मेरे प्यारे बच्चे
जो तुम मुझे मृत देखना चाहते हो
तो मुझे बहुत जिद्दी होना होगा क्योंकि

ज़ि‍न्दगी खूबसूरत है शराब सी खूबसूरत, खूबसूरत, खूबसूरत

(अनुवाद : प्रमोद)

2 comments:

  1. जिन्दगी हर नशे से भी अधिक खूबसूरत है।

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  2. कमाल की कविता और बेहतरीन अनुवाद

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