हवा में अँगड़ाई लेती तुम्हारी कलाइयाँ
रचती हैं एक कला
बाँधती हैं कोमल अँधेरे वलय में
मेरे प्यार, मेरी इच्छाओं को
धीरे-धीरे खुलती जाती है
तुम्हा्री गर्दन के नाजुक हल्के झटकों से
जूड़े की ढीली गाँठ
और बह निकलता है
स्याह रेशमी धार का प्रपात
मेरा मन है कि इस झरने के
ठीक नीचे जाकर लेटूँ
और यह ढाँप ले मुझे प्यार और इच्छा के
इस कोमल अँधेरे में
Saturday, August 7, 2010
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अच्छी रोमांटिक रचना ।
ReplyDeleteकृपया वर्ड-वेरिफिकेशन हटा लीजिये
वर्ड वेरीफिकेशन हटाने के लिए:
डैशबोर्ड>सेटिंग्स>कमेन्टस>Show word verification for comments?>
इसमें ’नो’ का विकल्प चुन लें..बस हो गया..कितना सरल है न हटाना
और उतना ही मुश्किल-इसे भरना!! यकीन मानिये!!.
वाह .. बहुत बढिया !!
ReplyDeleteकोमल भावों की सुन्दर अभिव्यक्ति।
ReplyDeleteआप सभी का शुक्रिया
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