Saturday, June 12, 2010

मुझे एक बछडे़ की तरह प्यार करो

ओ प्रिय !
मेरी एड़ियाँ इतनी मजबूत नहीं कि तुम्हारा सामना कर सकूँ
ना ही पंजों में इतना बल कि तुमसे भाग सकूँ

मैं बेबस हूँ
तुम्हारा ठिठका हुआ हिरनोटा

मेरी गर्दन को सहलाओ
मुझे एक बछड़े की तरह प्यार करो
मेरी पीठ के अंतिम छोर तक अपना हाथ फिराओ
मैं आँखें मूँद अपना मुँह
तुम्हारे कंधे पर ठीक उस जगह टिका लेना चाहता हूँ
जहाँ तुम्हारे रंग की रोशनी फूट रही है
(प्रतिलिपि में प्रकाशित)

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