Wednesday, August 4, 2010

स्पर्श

(ऑक्तादवियो पाज़ की कविता-'टच')

मेरे हाथ
खोलते हैं तुम्हारे अस्तित्व के पर्दों को
पहनाते हैं तुम्हें और अधिक नग्नता की पौषाक
उघाड़ते हैं तुम्हारी देह की कायाओं को

मेरे हाथ
रचते हैं तुम्हा्री देह के लिए दूसरी देह

(अनुवाद : प्रमोद)

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