Thursday, June 20, 2013

पागलपन से भरी यह बातें बस फसानों सी लगती हैं



जब सब खत्म हो रहा हो
और सबसे निरुपाय महसूस करो
मुझे याद करना
मैं तुम्हारी हथेली पर मोती बन आ बैठूँगा
जिसे तुम अपनी आँखों के कोरों पर लगा लेना
फिर कलेजे तक उसकी ठंडक महसूस होने लगेगी

भरी दुपहरी
जब बुक्का फाड़ कर रोने को जी चाहे
और गला रुँधा हो
मुझे याद करना
तुम्हारे कंधे पर एक मानवीय रूई की गर्माहट
महसूस होगी
जिसके कोयों को तुम गर्मी की लू में उड़ा देना
वे शाम तक आसमान में बादलों की शक्ल ले बरसने लगेंगे

जब आस-पास बहुत भीड़ हो
फिर भी इस दुनिया में सबसे अकेला महसूस हो रहा हो
मुझे याद करना
तुम्हें आसमान का सबसे दूर का सितारा भी अपने दिल जितना करीब महसूस होने लगेगा
और उसकी चमक से तुम्हारा मन रोशनी सा दमकने लगेगा

सयानों की इस दुनिया में
पागलपन से भरी यह बातें
बस फसानों सी लगती हैं
मगर कोई यह तो पूछे
कि बिना आजमाए
फसानों में इन्हें कौन उकेर गया होगा